अमरकंटक यात्रा: अमरकंटक, भारत के मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है समुद्र तल से 1065 मीटर की ऊंचाई पर विंध्य पर्वत व सतपुड़ा पर्वत के मिलन क्षेत्र मैकल पर्वत श्रृंखला में स्थित है, यहां से मां नर्मदा नदी, सोननदी व जोहिला नदी का उद्गम होता है नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की ओर और सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है यह एक हिंदू तीर्थ स्थल है यहां पर ऊंचे ऊंचे पर्वत, जंगल, तालाब, झरने, पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक पौधों व जड़ी बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध है, मैकल पर्वत श्रृंखला भारत के महान संत महर्षि व्यास और ब्रिघू आदि जैसे संतों का ध्यान स्थाली भी रहा है।
![Prachin kalachuri mandir amarkantak Prachin kalachuri mandir amarkantak](http://travelmitan.com/wp-content/uploads/2024/04/प्राचीन-मंदिर-अमरकंटक5267992518999570518.jpg)
अमरकंटक के प्रमुख पर्यटन स्थल: अमरकंटक में आप सभी मौसम मे घूमने जा सकते है अमरकंटक को आप 2 दिन मे आराम से घूम सकते हैं यहां पर अनेक रमणीय स्थान है। आईए जानते हैं उनके बारे में…
नर्मदा नदी:
![Narmada Mandir Madhya Pradesh Narmada Mandir Madhya Pradesh](http://travelmitan.com/wp-content/uploads/2024/04/नर्मदा-मंदिर8485420186199830637.jpg)
नर्मदाकुंद नर्मदा नदी का उद्गम स्थान है इसके चारों ओर अनेक मंदिर है इन मंदिरों में नर्मदा मंदिर, नर्मदा कुंड, शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गोरखनाथ मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, दुर्गा मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है कहा जाता है कि नर्मदा नदी का उद्गम भगवान शिव की जटाओं से हुई है इसलिए शिव को जटाशंकर भी कहा जाता है।
प्राचीन कलचुरी मंदिर:
![Prachin kalachuri mandir amarkantak](http://travelmitan.com/wp-content/uploads/2024/04/प्राचीन-मंदिर-अमरकंटक5267992518999570518.jpg)
इस मंदिर का। निर्माण कलचुरी राजाओं ने कराया था, नर्मदा कुंड के दक्षिण में कलचुरी कल के प्राचीन मंदिर बने हुए हैं इन मंदिरों का निर्माण राजा कर्णदेव ने 1041 से 1073 ई. के दौरान बनवाया था पातालेश्वर महादेव मंदिर इस कल का बेहतरीन उदाहरण है।
श्रीयंत्र मंदिर :
यह मंदिर नर्मदा कुंड से 1km दूर सोनमुंडा मार्ग पर स्थित है इस मंदिर की आकृति श्रीयंत्र जैसी है इसलिए इसे श्रीयंत्र कर मंदिर कहते हैं इसका निर्माण विशेष महत्व में मुहूर्त में किया गया, मंदिर निर्माण का कार्य अभी भी चल रहा है इस मंदिर को बाहर से देख सकते हैं इस मंदिर का निर्माण सुकदेवानंद जी महाराज द्वारा कराया जा रहा है।
सोनमुड़ :
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सोनमुड़ा सोन नदी का उद्गम स्थल है सोनमुड़ा नर्मदा कुंड से 2km की दूरी पर स्थित है सोन नदी 100 फीट की ऊंचाई से झरने के रूप में यहां से गिरती है सोन नदी की सुनहरी रेत के कारण इस नदी का नाम सोन नदी पड़ा, अगर आपको अमरकंटक का सूर्योदय देखना है तो आप सोनमुड़ा सुबह-सुबह सूर्योदय के समय जा सकते हैं यहां से सूर्योदय बहुत खूबसूरत रहता है।
माई की बगिया:
माई की बगिया नर्मदा कुंड से 1km की दूरी पर है माई की बगिया मां नर्मदा को समर्पित है ऐसी जनश्रुति मिलती है कि बगिया में मां नर्मदा पुष्प चुनती थी। यहां प्राकृतिक रूप से आम, केले और अन्य पेड़ फलों के पेड़ लगे हुए हैं।
कपिलधारा:
नर्मदा उद्गम से कपिलधारा 8km की दूरी पर स्थित है लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला कपिलधारा जलप्रपात बहुत ही सुंदर है धर्मग्रंथ के अनुसार, महर्षि कपिलमुनि ने यहां पर वर्षों तक तपस्या की थी, इसलिए इस जलप्रपात का नाम कपिलधारा रखा गया। प्राकृतिक सुंदरता, मां नर्मदा को जलधारा की कल कल आवाज आपको मंत्रमुग्ध कर देगा, कपिलधारा के निकट कपिलेश्वर मंदिर बना हुआ है, इस जलप्रपात के आसपास में कई गुफाएं व साधुसंत ध्यान मुद्रा में देखे जा सकते हैं।
दूधधारा:
कपिलधारा से नीचे 1km नीचे जाने पर यह जलप्रपात मिलता है इसकी ऊंचाई 10 फीट है कहा जाता है यहां दुर्वासा ऋषि ने तपस्या की थी, आज भी दुर्वासा ऋषि का गुफा यहां पर है यहां पवित्र नर्मदा नदी दूध के समान सफेद दिखाई देती है इसलिए इस जलप्रपात का नाम दूधधारा कहा जाता है।
सर्वोदय जैन मंदिर:
![Jain Temple Amarkantak Jain Temple Amarkantak](http://travelmitan.com/wp-content/uploads/2024/04/20240415_183602208012261207421037.jpg)
यहां भगवान आदिनाथ अष्टधातु के कमल सिंहासन पर विराजमान है कमल सिंहासन का वजन 17 टन है मंदिर की स्थापित मूर्ति का वजन 24 टन के करीब है इस प्रकार प्रतिमा और कमल कमल सिंहासन का कुल वजन 41 टन है मंदिर की प्रतिमा को मुनिश्री विद्यासागर जी महाराज ने 6 नवंबर 2006 को विधि विधान से स्थापित किया, मंदिर का निर्माण 2024 में पूर्ण हो चुका है इस मंदिर को बनाने में सीमेंट व लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है यह भारत का अद्वितीय व अद्भुत मंदिरों में से एक है।
जलेश्वर महादेव:
श्री जलेश्वर महादेव मंदिर अमरकंटक से शहडोल रोड पर 8 किलोमीटर की दूरी पर है जलेश्वर महादेव का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यहां से अमरकंटक की तीसरी नदी जोहिला नदी की उत्पत्ति होती है इसे भगवान शिव ने स्वयं स्थापित किया था। मंदिर के निकट ही सनसेट प्वाइंट भी है यहां पर आप संध्या के समय जा सकते हैं।
कबीर चबूतरा:
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कबीरपंथियों के लिए कबीर चबूतरा बहुत ही महत्वपूर्ण है संत कबीर जी यहां पर कई वर्षों तक चबूतरे पर ध्यान लगाया था, कहा जाता है कि इसी स्थान पर कबीर दास जी और सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी मिले थे।
अन्य पर्यटन स्थल:
![माई का मंडप माई का मंडप](http://travelmitan.com/wp-content/uploads/2024/04/माई-का-मड़वा7829894174304566536.jpg)
अमरेश्वर महादेव
राजमेरगढ़ व्यू प्वाइंट
माई का मंडप
धूनीपानी
अचानक टाइगर रिजर्व
नर्मदा परिक्रमा:
भारत में सैकड़ो नदिया है पर केवल मां नर्मदा नदी की परिक्रमा होती है यह 1300 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी परिक्रमा होती है जिसे 3 साल 3 महीने 13 दिन में पूरा करना होता है यह 1300 किलोमीटर पैदल यात्रा पहले पैदल किया करते थे। लेकिन आज के समय में मोटरसाइकिल हुआ चौपाहियां वाहन से यात्रा जल्दी पूरा कर लिया जाता है नर्मदा परिक्रमा में नर्मदा नदी को पर नहीं किया जाता, परिक्रमा में सभी स्थानों दर्शनीय स्थल देखने को मिलता है इस यात्रा के दौरान कई छोटे बड़े गांव, घने जंगल पार करके जाना होता है। मां नर्मदा नदी के किनारे कई धर्मशाला व मंदिर रुकने के लिए मिलता है जहां पर परिक्रमा वासी रुकते हैं।
अमरकंटक आने का सबसे अच्छा समय:
अक्टूबर से मार्च के महीने में यहां पर आने पर आपको अलग खूबसूरती देखने को मिलेगा। जून जुलाई में बारिश से यहां की जलप्रपात भर जाते हैं। वैसे तो आप यहां पर साल भर में कभी भी आ सकते हैं लेकिन अक्टूबर से मार्च के बीच में यहां का दृश्य बेहद खूबसूरत होता है।
अमरकंटक में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सव:
- हर साल अमरकंटक में नर्मदा जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है इस अवसर पर पूरे अमरकंटक को सजाया जाता है रात को नर्मदा महाआरती की जाती है साथ ही विशाल मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं।
- नर्मदा पुस्करालु 2024 ( Narmada Pushkaralu 2024 – नर्मदा पुष्करालु 2024 1मई से 13 मई के बीच नर्मदा नदी के जितने भी प्रमुख पर्यटन स्थल है वहां पर नर्मदा स्नान करने के लिए आएंगे। इसमें मुख्य रूप से साउथ के लोग यहां पर आते हैं।
नर्मदा नदी के तट पर प्रमुख पर्यटन स्थल:
- भेड़ाघाट: यह स्थान जबलपुर से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह जलप्रपात धुआंधार के नाम से प्रसिद्ध है यहां मां नर्मदा 3 किलोमीटर तक 100 फुट से भी अधिक संगमरमर की दीवारों के बीच संखनाद करते हुए गुजरती है जलप्रपात के पास में ही बोटिंग होता है जब भी आप यहां पर आते हैं तो बोटिंग जरूर करें।
- ओंकारेश्वर: नर्मदा क्षेत्र में ओंकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है।
ओंकारेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है यह हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थान है।
अमरकंटक मे कहां रुके:
अमरकंटक में रुकने के लिए गवर्नमेंट के होटल, रिसोर्ट व विश्राम गृह है नर्मदा मंदिर के पास बहुत सारे धर्मशाला व प्राइवेट होटल भी है ₹200 से लेकर ₹5000 के बीच में होटल व धर्मशाला के लिए मिल जाएगा। रहने के लिए सर्वोदय जैन धर्मशाला सबसे अच्छा है। साथ यहां पर सुबह का नाश्ता व सात्विक भोजन मिलता है।
अन्य मुख्य होटल:
- होलीडे होम्स
- सर्वोदय विश्रामगृह
- जैन धर्मशाला
- कल्याण आश्रम
- वर्फानी आश्रम
- अरंडी आश्रम
कैसे पहुंचे:
यहां पहुंचने के लिए बिलासपुर सबसे सुविधाजनक है अन्य रेल मार्ग बिलासपुर, पेंड्रा रोड और अनूपपुर से है।
सड़क मार्ग द्वारा(By Road):
अमरकंटक आने के लिए बहुत सारे सड़क मार्ग है सबसे पास का शहर छत्तीसगढ़ पेंड्रारोड है यहां पर ट्रेन से आ सकते हैं या बिलासपुर आ सकते हैं, पेंड्रारोड 40km, बिलासपुर 120km, अनूपपुर 75km, जबलपुर 140km है। इन सभी जगह से आसानी से टैक्सी मिल जाएगा।
हवाई मार्ग द्वारा (By Air):
हवाई मार्ग से आप अमरकंटक आना चाहते हैं तो सब से निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर मध्यप्रदेश व रायपुर छत्तीसगढ़ हवाई अड्डा से यहां पर आ सकते हैं यह लगभग 245 किलोमीटर की दूरी पर है अन्य मुख्य जैसे दिल्ली, मुंबई, भोपाल जैसे बड़े शहरों से प्रतिदिन उड़ान सेवा है रायपुर–बिलासपुर, पेंड्रा रोड से अमरकंटक तक टैक्सी से आसानी से मिल जाता हैं।
ट्रेन द्वारा(By Train):
अमरकंटक के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं है निकटतम रेलवे स्टेशन पेंड्रारोड 40km, बिलासपुर 120km, अनूपपुर 75km है। इन सभी जगह से आसानी से टैक्सी मिल जाएगा।
अगर आप हमारे साथ अमरकंटक की यात्रा करना चाहते हैं तो ट्रैवल मितान से संपर्क कर सकते हैं हम आपकी यात्रा के लिए होटल, टैक्सी, गाइड प्रोवाइड करते हैं।
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